arya samaj mandir
छत्तीसगढ़ में एक सबसे रहस्यमई मंदिर जहां मांगी हुई हर इच्छाएं होती है पूर्ण बदले में देनी होती है बलि ? चैत्र नवरात्र में केवल रविवार को ही खुलता है इनका द्वार बाकी समय रहती है माता वीराने में ? महिलाओं का आना है पूर्णतः वर्जित?
छत्तीसगढ़ गरियाबंद छत्तीसगढ़ को तो ऐसी देवी देवताओं का गड़ कहा जाता है लेकिन यहां इनकी भी अलग अलग परंपराएं है।
हम बात करते है छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में विराजे निरई माता की ।
छत्तीसगढ़ के निरई माता को इच्छाओं की पूर्ति करने वाली माता कहा जाता है कहते है की जो भी भक्त यहां सच्चे मन से श्रद्धा भक्ति से आते है और माता से को मांगते है माता उन्हे अवश्य पूर्ण करती है ।
महिलाओं का आना है पूर्णतः वर्जित :–
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मोहरा गांव से कुछ दूर पहाड़ी पर स्थित निरई माता का ये दिव्य दरबार बहुत ही दर्शनीय है ,इस दरबार की एक मान्यता बहुत है की जो भी यहां सच्चे मन से भक्ति भाव से आता है और माता से जो भी इच्छा मांगता है वो अवश्य पूरा होता है ।
निरई माता के इस मंदिर में महिलाओं का आना पूर्ण रूप से वर्जित है ।
स्थानीय निवासियों से पूछे जाने के बाद उन्होंने बताया है की निरई माता के इस दिव्य मंदिर में सिर्फ पुरुष ही जा सकते है महिलाओं का यहां जाना पूर्णतः वर्जित है।
बिना तेल के 9 दिन तक होती है ज्योति प्रजव्वलित
निरई माता का दिव्य दरबार ऊपर की ऊंची पहाड़ी पर लगता है स्थानीय निवासियों से बात करने पर वो बताते है निरई माता की प्रकाश पर्व की ज्योति एक सप्ताह पहले ही चमकती रहती है और चैत्र नवरात्र के प्रथम रविवार को यहां जात्रा मनाया जाता है ।
वहां के लोग बताते है की यहां बिना तेल के ज्योत नवरात्र के 9 दिन तक जलती रहती है।स्थानीय निवासियों को ये किसी चमत्कार से कम नहीं लगता है।
कहा है निरई माता का स्थान ?
छत्तीसगढ़ में ऐसे ऐसे दिव्य रहस्मई मंदिर है जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है ।
इन सबमें निरई माता का दिव्य धाम गरियाबंद मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर मोहेरा गांव से कुछ दूर स्थित ऊपरी दो पहाड़ियों के बीच में विराजमान है।
200 साल पहले की चली आ रही है आस्था मन्नत पूरी हो जाने पर दिया जाता है बलि ?
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से 12 किलोमीटर दूर निरई माता का ये दिव्य मंदिर बहुत ही रहस्यमई है । स्थानीय निवासियों से बात करने पर पता चला की निरई माता के प्रति यहां की साथ 200 वर्षो से पूर्व मानी जाती है ।
यहां माता के धाम में कोई मंदिर के लिए ऊपरी छत नही है लेकिन फिर भी यहां हजारों के तादाद में श्रद्धालु माता का दर्शन करने आते है ।इस मंदिर के प्रति छत्तीसगढ़ के लोगो की बहुत पुरानी आस्था है ।
यहां के निरई माता को श्रद्धालुगण नींबू ,नारियल का भेंट चढ़ाते है।
स्थानीय लोगो का कहना है की कई श्रद्धालु यहां ऐसे है जो की मन्नत पूरी होने पर बकरे की बलि देते है जिससे माता उनापर प्रसन्न होती है और अपनी कृपा बनाए रखती है।
सिर्फ 5 घंटो के लिए खुलता है माता का दिव्य दरबार
छत्तीसगढ़ के निरई माता का दिव्य दरबार भक्तो के लिए चैत्र नवरात्र के प्रथम रविवार को सिर्फ 5 घंटो के लिए खोला जाता है । निरई माता के इस दिव्य दरबार को देखने के लिए श्याद्धालु बड़ी दूर दूर से आते है ।
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